Tuesday, January 06, 2009

भइया...तुम्हारे जन्मदिवस पर...

एक बार प्रकृति ने इश्वर से कहा-
"विश्व में अंधकार बढ़ रहा है,
सच का सूरज न जाने क्यों ढल रहा है,
हमें तुम्हारा दिव्यांश चाहिए
ढलते हुए सूरज को जो थाम ले
वो प्रकाश चाहिए"
सुनकर ये सारा कथन
इश्वर ने किया गंभीर मनन
एक अनोखी घटना घटी...
और हो गया तुम्हारा सृजन
एक नई विभा दीप्त हुई
जीवन जगमगा उठा
फूलो ने सुगंध फैलाई
आध्यात्म का संचार हुआ
तुम वास्तव में हमारे जीवन के "प्रणव" हो...
हम इश्वर के प्रति कृतज्ञ है,
जो हमें तुम्हारी शाखाओ से बांधे रखा है,
तुम एक नया इतिहास रच सको
इसीलिए प्रकृति को बनाये रखा है...

3 comments:

Smart Indian said...

"प्रकाश" का जन्मदिन मुबारक!

Umesh Pathak / उमेश पाठक said...

Dear Deepali ,u have a natural feeling and flow for poetry,manthan is reflecting your imagination and creativity.so keep it up.....all the best!

हरकीरत ' हीर' said...

दीपाली ,

अच्छा लिख रही हो ....जरी रखो .....!